सोमवार, 6 मई 2019

Mari sayari

देखी जो हमें एक रोशनी चल दिए हम उसी राह पर.
मिल जाए शायद मंजिल हमें चल दिए हम इसी चाह पर.
लाख पत्थर आए राह में हमारे.
बिना डगमगाए हमारे कदम चलते रहे पथरीली राह पर.
समझे हम बाद में उसको.
यहां तो सब एक छलावा था नजर के हमारे जो हम फिदा हो गए उसके भाव पर.
आंसुओं का कोई मोल नहीं था उसकी नजर में.
फिर क्या करते हो उसके सामने आंसुओं को बहा कर.